- बदलनी होगी ऐसी मानसिकता जो बताती है कि संकमण अब कम प्रभावी है
- किसी भी शोध में यह बात नहीं आई है कि संक्रमण काल खत्म हो रहा है
- सुरक्षा के मानकों को अपनाने और जागरूकता से ही रह सकते हैं सुरक्षित
मुंगेर,, 8 सितम्बर।
जिले में अनलॉक के बाद जनजीवन सामान्य हो रहा है। लोग अपने कार्यक्षेत्र की ओर लौट रहे हैं। सड़कों व बाजारों में भी रौनक लौट चुकी है। हालांकि संक्रमण के प्रभाव में आने वालों की संख्या भी रोजाना बढ़ रही है। वैक्सीन पर काम चल ही रहा है, ऐसे में सतर्कता और सुरक्षा के नियम ही बचाव का एकमात्र रास्ता है। इधर, अनलॉक के बाद लोगों की मानसिकता भी थोड़ी-थोड़ी बदली-बदली सी नजर आ रही है। दफ्तरों आदि में तो लोग सतर्कता बरत रहे हैं, लेकिन बाजार और सड़कों पर इसका अभाव देखने को मिल रहा है। लोग मास्क तो पहन रहे हैं, लेकिन शारीरिक दूरी की कमी है। वहीं भीड़ भी लगातार बढ़ने लगी है। बाजार और सड़कों पर लोग बेवजह घूमते भी नजर आ जा रहे हैं। शायद वे संक्रमण को हल्के में ले रहे हैं, या यह समझ रहे हैं कि वे इसके प्रभाव में नहीं आएंगे। इनकी लापरवाही सवाल खड़ा करती है कि अगर ऐसी मानसिकता जारी रही तो संक्रमण को फैलने से रोकना काफी कठीन होगा। लोगों को ध्यान रखना होगा कि अबतक के किसी भी शोध से यह बात निकल कर नहीं आई है कि संक्रमण काल या इसका प्रभाव खत्म हो गया है। हां यह जरूर देखने को मिला है कि जहां भी नियमों का सही से पालन और पूरी सतर्कता बरती गई है वहां इसका प्रभाव काफी हद तक कम हो गया है।
जो नहीं समझ रहे हैं उन्हें हमें समझाना होगा, घबराने की जरूरत नहीं है:
मुंगेर की स्थानीय निवासी श्वेता कुमारी कहती हैं कि कोविड-19 को हराना है तो देश के सभी नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। संक्रमण के इस दौर में खराब होती स्थिति से डरने और घबराने की जरूरत नहीं है। अगर हम सुरक्षा के बताए गए नियमों का बेहतर रूप से पालन करेंगे और अपने साथ दूसरों का ख्याल रखेंगे तो महामारी से अवश्य ही मुक्त हो जाएंगे। इस समय हम सभी लोगों का यही कर्तव्य है कि हम पूरी सुरक्षा, गंभीरता, योग्यता, क्षमता और सतर्कता के साथ इस चुनौती का डटकर सामना करें। जो नियमों को नहीं मान रहें हैं, उन्हें जागरूक करते हुए इसका क्या असर होगा, यह बताएं। बेहद जरूरी है कि स्वयं का बचाव करने के साथ अपने आसपास के लोगों को भी संक्रमण से मुक्त रखने के लिए अपने स्तर पर हर संभव प्रयास करें।
घर के सदस्यों की भूमिका हो जाती है महत्वपूर्ण:
युवा अमन कहते हैं कि ऐसे वक्त में जब संक्रमण लगातार पांव पसार रहा है, और लोग ज्यादा संख्या में घर से बाहर निकल रहे हैं, सावधानी ही एकमात्र सुरक्षा का उपाय है। हम अपने स्तर पर तो सुरक्षा बरत सकते हैं, लेकिन अगर अगले ने इसकी अनदेखी की है तो संक्रमण का प्रभाव तो बना ही रहेगा। आज जरूरत इस बात की है कि स्थिति और लगातार बढ़ते मामलों को देखते हुए परिवार के लोग आगे आकर पहल करें। घर के हरेक सदस्य को नियमों का पालन करने को कहा जाए। संभव हो इसकी जानकारी भी लेते रहें। समाज का एक-एक परिवार ऐसा करेगा तो निश्चय ही इसका साकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। लोगों की अवधारणा की संक्रमण का खतरा कम हो गया है, या वे उसके प्रभाव में नहीं आएंगे, कही से भी सही नहीं है। जागरूकता ही एकमात्र उपाय है जो न केवल नियमों का पालन कराता है, बल्कि खतरों से भी लोगों को दूर रखता है।
अभी ये सावधानी बरतनी है बेहद जरूरी:
- सकारात्मक सोच रखें, अफवाहों पर ध्यान न दें, लोगों को भी समझाएं।
- आवश्यक पड़ने पर ही घर से निकलें, इस दौरान पूरी सतर्कता बरतें।
- घर से बाहर 6 मीटर की शारीरिक दूरी अपनाएं, मास्क और सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
- सामाजिक जगहों पर भीड़ लगाने व एक दूसरे के संपर्क में आने से बचें।
- अच्छी नींद और भोजन लें साथ ही योगा और व्यायाम से इम्यूनिटी बढ़ाएं।
- खादृय प्रदार्थों को अच्छे से साफ कर ही प्रयोग में लाएं।
रिपोर्टर
Grihsaundarya (Admin)
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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