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- माधोपुर के हिमांशु शेखर आ गये थे संक्रमण के प्रभाव में
- लगातार रह रहा था बुखार, जांच कराई तो रिपोर्ट आई पॉज़िटिव
- होम आइसोलेशन में रहते हुए कोविड-19 को दी मात
- कहा, डरने की नहीं हैं जरूरत, सतर्कता से बचाव है संभव
- समाज दे सकरात्मक माहौल, रखें एक-दूसरे का ख्याल
मुंगेर, 05 अक्टूबर।
“कोविड 19 संक्रमण एक ऐसा संक्रामक रोग है, जिससे हम सुरक्षा के नियमों का पालन करके, सतर्कता बरतकर और जागरूक रहकर ही बच सकते हैं।” यह कहना है माधोपुर के रहने वाले हिमांशु शेखर का। हिमांशु शेखर कोरोना संक्रमण के प्रभाव में तो जरूर आएं, लेकिन जरूरी नियमों का पालन कर जल्द ही उसे मात दे दिया। उन्होने बताया, कोविड-19 ने हमें सीख दी है कि हम किसी भी बिमारी को हल्के में न लें। जीवन अनमोल है, इसलिए हमें इसका कद्र करना चाहिए। भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग खानपान से लेकर स्वास्थ्य की जो अनदेखी करते हैं, उसका नुकसान आगे चलकर अनावश्यक बीमारी के रूप में देखने को मिलता है। कोविड-19 ने हमें यह भी बताया कि हमारे जीवन में स्वच्छता का कितना महत्व है। यह भी सीख मिली कि हमें अपने साथ-साथ दूसरों का भी ख्याल रखना चाहिए। उन्हें स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते रहना चाहिए। क्योंकि हम अपना ख्याल रख सकते हैं, सतर्कता बरत सकते हैं। लेकिन अगर अगले ने इसकी अनदेखी की और हम उसके प्रभाव में आए तो हम भी लंबे समय तक बचे नहीं रह सकते हैं।
बुखार और सांस लेने में होती थी परेशानी:
हिमांशु शेखर (47 वर्षीय) मुंगेर पीएचडी कार्यालय में अकाउंट क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं। वह बताते हैं कि संक्रमण के प्रभाव वाले दिनों में उन्हें बुखार की समस्या ज्यादा रहती थी। आगे चलकर उन्हें सांस लेने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इन सबको देखकर वह सचेत हो गए। उन्हें और कोई लक्षण नजर नहीं आ रहे थे। हालांकि उन्होंने जांच करवाना बेहतर समझा। 09 जुलाई को उनकी संक्रमित होने की रिपोर्ट आई। रिपोर्ट आते ही वह तुरंत घर में ही अलग व्यवस्था में आइसोलेशन में चले गए। चिकित्सीय परामर्श से लेकर सुबह से लेकर शाम तक की दिनचर्या और दवा लेने की विधि उन्हें बताई गई। वह स्वयं भी सभी नियमों के साथ दवा लेने लगे। लगभग 25 दिनों के होम क्वारंटाइन में रहने और पूर्ण स्वस्थ और बेहतर महसूस करने के बाद उन्होंने अपने सामान कार्य करने शुरू कर दिए।
जीवनशैली में बदलाव लाकर दे सकते हैं संक्रमण जैसी बिमारियों को मात:
हिमांशु शेखर कहते हैं कि संक्रमण के दौर में कौन, कब इसकी चपेट में आ जाए कह नहीं सकते हैं। इसलिए इससे बचाव और सतर्कता ही सुरक्षा का एकमात्र उपाय है। संक्रमण के दौर में जरूरी है कि लोग अपनी दिनचर्या में बदलाव लाएं। खानपान में विशेष ध्यान देने के साथ योगाभ्यास नियमित रूप से करें। वे बताते हैं कि संक्रमण के प्रभाव वाले दिनों में जैसे लोग सामान्य तौर पर सर्दी-जुकाम होने पर भाप लेते हैं। उसी तरह वह भाप यानि स्टीम थेरपी भी लेते रहे। इससे उन्हें सांस लेने में जो परेशानी होती थी, उससे काफी राहत मिलती रही। उन्होंने खाने में इम्यूनिटी मजबूत करने वाले व्यंजनों को शामिल किया। काढ़ा आदि का भी नियमित रूप से सेवन करते रहे। सकारात्मक सोच रखी, खानपान और दवाइयों को समय पर लेने से वह संक्रमण को हराकर आज पूर्ण रूप से स्वस्थ हो अपने कार्यों को अंजाम दे रहे हैं।
संक्रमण के दौर में समाज का साथ मिलना बेहद जरूरी:
उपचाराधीन से भेदभाव पर वह कहते हैं कि प्रभावित को समाज से पृथक कर देना गलत है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 से उपचाराधीन और उसके परिवार के प्रति लोग अलग नजरिया रखते हैं। उनकी सोच बदलने लगती है। ऐसा नहीं होना चाहिए। संकट और परेशानी के वक्त हम एक-दूसरे का साथ छोड़ दें ऐसा न हो। सभी समाज के अभिन्न अंग हैं। कोविड-19 ने हमें सीख दी है कि लोगों की सुरक्षा उनके अपने हाथों में है। इसलिए इसके प्रभाव में आए व्यक्ति या उसके परिवार से दूरी बनाने की जगह उन्हें एक सकारात्मक माहौल देने की जरूरत है। सभी एक-दूसरे का साथ देते हुए सुरक्षा के नियमों को अपनाएंगे, सतर्क और जागरूक रहेंगे तो निश्चय ही संक्रमण दूर रहेगा।
रिपोर्टर
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Grihsaundarya (Admin)