- जिले के 4 प्रखंडों के 12 गांव में कालाजार को लेकर चल रहा सर्वे
- सदर प्रखंड के शासन गांव में डब्ल्यूएचओ की टीम ने किया निरीक्षण
बांका, 27 अगस्त
जिले के 4 प्रखंडों के 12 गांव में कालाजार रोगियों की पहचान के लिए आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर सर्वे कर रही हैं। सदर प्रखंड के शासन गांव में भी सर्वे का काम चल रहा है, गुरुवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की टीम ने निरीक्षण किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम को लीड कर रहे डॉक्टर शांतनु घोष ने सर्वे कर रही आशा कार्यकर्ताओं से सर्वे करने का तरीका पूछा। इससे संतुष्ट हो जाने के बाद डॉक्टर शांतनु घोष ने गांव के तीन-चार स्थानीय लोगों से स्वास्थ्य विभाग के काम की जानकारी ली। वह स्वास्थ्य विभाग के कार्य से संतुष्ट दिखे
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि सुबह 11:00 बजे डॉक्टर शांतनु घोष के नेतृत्व में डब्ल्यूएचओ की टीम आई। टीम के सदस्यों को शासन गांव ले जाया गया और उन्हें सर्वे कार्य कर रही आशा कार्यकर्ताओं से मिलवाया गया। जहां पर उन्होंने आशा कार्यकर्ताओं व अन्य लोगों से जानकारी लेकर सर्वे कार्य पर संतुष्टि जताई। टीम ने आशा कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि अगर किसी व्यक्ति में कालाजार का लक्षण दिखाई दे तो उसे तत्काल नजदीकी सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए ले जाएं। मालूम हो कि 25 अगस्त से आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की पहचान के लिए सर्वे का कार्य कर रही हैं।
2 सितंबर तक चलेगा सर्वे का काम:
जिला वेक्टर डिजीज कंट्रोल पदाधिकारी डॉ बीके यादव ने बताया कि 25 अगस्त से सर्वे का कार्य चल रहा है जो 2 सितंबर तक चलेगा। इस दौरान अगर कोई व्यक्ति कालाजार से पीड़ित पाया जाता है तो नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाकर उसका इलाज कराया जाएगा। दूसरी तरफ सर्वे कार्य समाप्त हो जाने के बाद जिले के इन 12 गांव में छिड़काव करवाया जाएगा।
तैयार हो रहा डाटा:
कालाजार रोगियों की पहचान के लिए सर्वे कर रही टीम में एक आशा कार्यकर्ता और एक आशा फैसिलिटेटर है। इन लोगों को एक फॉर्मेट उपलब्ध कराया गया है। जिसे गांव वालों से जानकारी लेकर भरना है। व्यक्ति का नाम, गांव का नाम, पंचायत का नाम और अगर उस व्यक्ति में कोई बीमारी का लक्षण है तो उसे भी फार्म में दर्ज करना है।
घर के पास जलजमाव नहीं होने दें:
शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि सर्वे के बाद गांव के हर एक घरों में दवा का छिड़काव भी किया जाएगा। उन्होंने लोगों से अपील की है कि बीमारी से बचाव के लिए घर के आसपास जलजमाव नहीं होने दें। यदि जलजमाव की स्थिति है तो उसमें किरासन तेल डालें। सोते समय मच्छरदानी लगाएं, साथ ही बच्चों को पूरा कपड़ा पहनाने व शरीर पर मच्छर रोधी क्रीम लगाएं।
कालाजार के खतरे को देखते हुए अपने घरों की भीतरी दीवारों और बथानों में कीटनाशक का छिड़काव करने व आसपास के हिस्से को सूखा व स्वच्छ रखने की अपील की गई गई।
कालाजार की ऐसे करें पहचान:
कालाजार एक वेक्टर जनित रोग है। कालाजार के इलाज में लापरवाही से मरीज की जान भी जा सकती है। यह बीमारी लिश्मैनिया डोनोवानी परजीवी के कारण होता है। कालाजार एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक फैलने वाली बीमारी है। यदि व्यक्ति को दो सप्ताह से बुखार, और तिल्ली और जिगर बढ़ गया हो तो यह कालाजार के लक्षण हो सकते हैं. साथ ही मरीज को भूख न लगने, कमजोरी और वजन में कमी की शिकायत होती है। यदि इलाज में देरी होता है तो हाथ, पैर व पेट की त्वचा काली हो जाती है। बाल व त्वचा के परत भी सूख कर झड़ते है। कालाजार के संभावित लक्षण दिखने पर रोगी को तुरंत किसी नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र ले जाना चाहिए।
रिपोर्टर
Grihsaundarya (Admin)
The Reporter specializes in covering a news beat, produces daily news for Aaple Rajya News
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